नई दिल्ली
दिल्ली हाई कोर्ट ने चेन-स्नैचिंग मामले में ट्रायल कोर्ट के फैसले को बरकरार रखा। अदालत ने कहा कि सार्वजनिक गवाह की अनुपस्थिति में पुलिस अधिकारियों की एकमात्र गवाही पर दोषसिद्धि दर्ज की जा सकती है। न्यामूर्ति रजनीश भटनागर की सिंगल बेंच ने कहा कि यह सामान्य ज्ञान की बात है कि सार्वजनिक क्षेत्र के व्यक्ति अक्सर जांच कार्यवाही में भाग लेने में अनिच्छा प्रदर्शित करते हैं। न्यायालय ने स्पष्ट किया कि सार्वजनिक गवाहों को शामिल करने में जांच अधिकारी की विफलता को एक प्रक्रियात्मक चूक माना जा सकता है, लेकिन यह आरोपमुक्त किए जाने का एकमात्र कारण नहीं हो सकता है।

न्यायमूर्ति रजनीश भटनागर की एकल पीठ ने कहा, जहां तक सार्वजनिक गवाहों के शामिल न होने का सवाल है, इसमें कोई संदेह नहीं है कि आईओ सार्वजनिक गवाहों में शामिल नहीं हुआ है, लेकिन यह अपने आप में अभियोजन के पूरे मामले को गलत साबित नहीं करता है। आधिकारिक गवाहों की गवाही को केवल इस आधार पर खारिज नहीं किया जा सकता है कि आईओ सार्वजनिक गवाहों को शामिल करने में विफल रहा। आरोपियों के खिलाफ आईपीसी की धारा 186, 353, 411, 34 और आर्म्स एक्ट की धारा 27, 54 और 59 के तहत एफआईआर दर्ज की गई थी। ट्रायल कोर्ट ने आरोपियों को आईपीसी की धारा 379 के तहत दोषी ठहराया और उन्हें तीन साल के कठोर कारावास की सजा सुनाई थी। अदालत ने आरोपी को सजा की शेष अवधि काटने के लिए ट्रायल कोर्ट के समक्ष आत्मसमर्पण करने का निर्देश दिया।

Source : Agency