भोपाल
 भारत समेत दुनियाभर में हर एक मिनट में दो लोगों की मौत सड़क हादसे में होती है. ये आंकड़े WHO (विश्व स्वास्थ्य संगठन) के हैं. वहीं, बात अगर भारत की करें तो मरने वालों में ज्यादातर लोग सड़क हादसे का शिकार होते हैं जिनमें ज्यादातर लोग बाइक सवार  होते हैं. ऐसे में जब किसी वाहन से दूसरे शख्स की जान चली जाती है, तो कई बार देखा गया है कि पीड़ित मुआवजे के लिए लड़ते रहते हैं. कुछ लोग तो न्यायालय तक पहुंच जाते हैं, तो वहीं कुछ ऑन द स्पॉट मामला रफा दफा कर लेते हैं. लेकिन, भोपाल में 5 साल पहले हुए सड़क हादसे एक शख्स की मौत हो गई थी, अब पीड़ित परिवार को करीब 92 लाख रुपये का मुआवजा देने का आदेश पारित हुआ है.

दरअसल, करीब पांच साल पहले भोपाल में हुई एक सड़क दुर्घटना में केंद्र सरकार के एक संस्थान में कार्यरत कर्मचारी घायल हो गए थे. इलाज के कुछ दिनों बात इनकी मृत्यु हो गई, तो पीड़ित परिवार की तरफ से वरिष्ठ अधिवक्ता मनोज पांडे ने पैरवी करते हुए पीड़ित परिवार को 92 लाख 81,759 रुपये का भुगतान के साथ-साथ 6 फीसदी ब्याज का मुआवजा दिलाने में सफलता हासिल की है.

करीब 93 लाख के मुआवजे का आदेश
वकील मनोज पांडे के द्वारा 2 जनवरी, 2020 के दिन इस मामले को 24वें अतिरिक्त मोटर दुर्घटना दावा अधिकरण भोपाल में दाखिल किया गया. ये लड़ाई तकरीबन 4 साल से ज्यादा तक चली. लेकिन, 25 अप्रैल 2024 को ट्रिब्यूनल की तरफ से जो आदेश पारित हुआ, उसमें सड़क हादसों में दम तोड़ने वाले लोगों के परिवार को मदद दिलाने में एक बड़ा संदेश मिला है.

ये है मामला
बता दें कि मृतक का नाम विनोद बाबू है, जो केंद्र सरकार के संस्थान इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ सोशल साइंस में असिस्टेंट चीफ टेक्निकल ऑफिसर के पद पर तैनात थे. परिजनों के मुताबिक, 26 सितंबर 2019 को सुबह मॉर्निंग वॉक के दौरान एक कार ने उन्हें टक्कर मार दी. फिर, उन्हें घायल अवस्था में इलाज के लिए अस्पताल भेजा गया. कई दिनों तक वह अस्पताल भी भर्ती रहे और फिर उनका निधन हो गया.

Source : Agency