जबलपुर
 मध्य प्रदेश हाई कोर्ट ने एक सुनवाई के दौरान बड़ी बात कही है। कोर्ट ने कहा कि पंचायत द्वारा बहुमत के प्रस्ताव के आधार पर पंचायत कर्मियों की नियुक्ति कानूनी नहीं है। यह योग्यता के आधार पर की जानी चाहिए। यह याचिका कटनी जिले के पड़खुरी गांव के निवासी कालिका प्रसाद ने दायर की थी।

याचिकाकर्ता ने लगाए थे आरोप

याचिकाकर्ता ने कहा कि उन्होंने 2007 में समाचार पत्रों में प्रकाशित पद पर रिक्ति की घोषणा करने वाले एक विज्ञापन के जवाब में पंचायत सचिव के पद पर नियुक्ति के लिए आवेदन किया था।

बहुमत से नियुक्त कर दिया व्यक्ति

याचिकाकर्ता ने आरोप लगाया कि पद के लिए भर्ती करते समय ग्राम पंचायत ने योग्यता के बजाय बहुमत के प्रस्ताव से एक व्यक्ति को नियुक्त किया। उन्होंने नियुक्ति के खिलाफ अपर कलेक्टर कटनी की अदालत में याचिका दायर की लेकिन उनका मामला खारिज कर दिया गया। याचिका की सुनवाई के दौरान न्यायमूर्ति विवेक अग्रवाल की पीठ ने पाया कि याचिका वर्ष 2013 में दायर की गई थी।

ये था मामला

ग्राम पड़खुरी में पंचायत सचिव के पद पर नियुक्ति के लिए आवेदन जमा करने की अंतिम तिथि 13 अगस्त 2007 थी। राज्य सरकार के पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग ने एक परिपत्र जारी कर कहा कि पंचायत कर्मियों की नियुक्ति योग्यता के अनुसार की जायेगी। सर्कुलर जारी होने से पहले की गई नियुक्तियां इससे प्रभावित नहीं होंगी। ग्राम पदखुरी की पंचायत को 20 अगस्त 2007 को परिपत्र की एक प्रति प्राप्त हुई थी। फिर भी, उसने 27 अगस्त को ग्राम पंचायत द्वारा पारित बहुमत प्रस्ताव द्वारा एक व्यक्ति को पंचायत सचिव के पद पर नियुक्त किया।

सीईओ जनपद ने नियुक्ति के लिए अपनाई गई प्रक्रिया का समर्थन किया था। बाद में याचिकाकर्ता द्वारा एसडीएम और तत्कालीन अतिरिक्त कलेक्टर कटनी की अदालत में दिए गए आवेदन भी खारिज कर दिए गए। हालांकि, न्यायमूर्ति अग्रवाल ने अपने फैसले में कहा कि राज्य सरकार द्वारा योग्यता के आधार पर नियुक्ति के लिए जारी परिपत्र प्राप्त होने के बावजूद ग्राम पंचायत ने बहुमत के प्रस्ताव से पंचायत सचिव के पद पर नियुक्ति की। कोर्ट ने याचिका मंजूर करते हुए मेरिट लिस्ट के आधार पर पद पर नियुक्ति देने को कहा है।

Source : Agency